Friday, September 2, 2011

हिन्दी मुक्तक

काश उस्ने मुझे पेह्चाना होता।
मेरे दिल के दर्द को जाना होता।
मेरे एक बात् को माना होता।
तो आज मै ईस तरह बेगाना न होता।

तारों मे अकेला चाँद जग्मगाता है,
मुस्किलोँ मे अकेला इन्सान हि डग्मगाता है,
काँटो से मत घब्राना मेरे दोस्त,
क्युकि काँटोँ मे हि एक गुलाब मुस्कुराता है ।

1 comment:

  1. Wah ji wah... hindi main vi bahot acche saayar likhte ho...

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